Thursday, May 31, 2018

Hepatitis | हेपाटाइटिस के प्रकार, लक्षण, बचाव और उपचार






हेपाटाइटिस के प्रकार, लक्षण, बचाव और उपचार



हेपाटाइटिस एड्स की तरह एक खतरनाक बीमारी हैहेपाटाइटिस से होने वाली मौतों की संख्या एड्स से 30 प्रतिशत अधिक हैइसका सबसे खतरनाक पहलू यह है कि जब तक इसके लक्षण उभरते है तब तक लिवर का 80 प्रतिशत हिस्सा क्षतिग्रस्त हो चुका होता है.

यदि परिवार में एक सदस्य को यह बीमारी हुई है तो परिवार के सभी सदस्यों के रक्त की जांच करवानी चाहिए.



हेपाटाइटिस कई प्रकार के होते हैं.



1.    हेपाटाइटिस ‘

हेपाटाइटिस ‘’ को पीलिया होने का सबसे सामान्य कारण माना जाता हैहेपाटाइटिस ‘’ कुछ सप्ताह में ठीक हो जाता हैयह बड़ों की अपेक्षा बच्चों में अधिक देखा जाता हैयह वायरसलिवर की कोशिकाओं पर हमला करता हैलक्षण प्रकट होने के दो सप्ताह पहले और एक सप्ताह बात तक इसके वायरस प्रभावकारी होते हैं.

इसके वायरस दूषित पानीदूधगदें हाथ  बर्तनों और बासी भोजन से फैलता हैइस रोग का टीका उपलब्ध होने से इसका इलाज संभव है.



2.    हेपाटाइटिस ‘

यह वायरस दूषित पानीदूषित भोजन और गंदगी से फैलता हैइसे जानलेवा नहीं माना जाता हैइसके वायरस दो तीन सप्ताह में नष्ट हो जाते हैं.

लेकिन किसी गर्भवति महिला को होने पर 2-4 प्रतिशत जानलेवा हो सकता हैहेपाटाइटिस ‘’ का टीका उपलब्ध नहीं हैइसके बचाब के लिए साफ-सफाई पर ध्यान देना जरूरी है.

3.    हेपाटाइटिस ‘बी

यह वायरस संक्रमित रक्त चढ़ानेसंक्रमित इंजेक्शनसंक्रमित आॅपरेशन के औजारअसुरक्षित यौन संबंध द्वारा फैलता हैसंक्रमित मां द्वारा शिशु को हो सकता हैहेपाटाइटिस बी का पता सही समय पर नहीं लगने से यह लिवर सोराइसिस और लिवर कैंसर में तब्दील हो जाता है.

हेपाटाइटिस ‘बी’ के लक्षण वर्षो तक सामने नहीं आते हैं और मरीज अपनी सामान्य जिंदगी जीता रहता हैजब यह लक्षण सामने आता हंैतब तक लिवर का 80 प्रतिशत हिस्सा खराब हो चुका होता है.



4.    हेपाटाइटिस ‘सी

हेपाटाइटिस ‘सी’ का संक्रमण पेशेवर रक्तदाताखतनागोदनाइंजेक्सन के सीरिंजआॅपरेशन के औजार आदि से फैलता हैंइस वायरस के कारण साधारण पीलिया की शिकायत होती हैइससे पीड़ित 50 प्रतिशत मरीज को लिवर सोराइसिस की शिकायत होती हैउन्हें आगे चल कर लिवर कैसर की शिकायत हो जाती है.



हेपाटाइटिस ‘डी

इसका संक्रमण हेपाटाइटिस ‘बी’ के साथ होता हैजब दोनों एक साथ हो तो खतरनाक स्थिति बन जाती हैहेपाटाइटिस ‘बी’ के टीका से इसका भी बचाव हो जाता है.



हेपाटाइटिस ‘एफ

हेपाटाइटिस ‘एफ’, हेपाटाइटिस ‘बी’, ‘सी’, ‘डी’ की तरह ही फैलता हैइस के वायरस के बारे में अभी तक कोई खास जानकारी नहीं मिल पायी हैइस बारे में अनुसंधान जारी है.


  
हेपाटाइटिस के सामान्य लक्षण


शुरूआत में कुछ हल्के लक्षण दिखाई देते हैंजैसे



जी मिचलाना   

  

उल्टी-दस्त लगना



भूख  लगना    


पेशाब पीला होना  

     

बेचैनी होना 

           

बुखार आना



 - मुंह का स्वाद बिगड़ जाना



 - हाथ पैर में दर्दबदन या जोड़-जोड़ में दर्द होना  



इस तरह के लक्षण दिखाई देने पर डाॅक्टर से जांच करवाएंक्योंकि जांच द्वारा ही इस बीमारी के बारे में सही पता चल सकता है.


सावधानियां


दूषित पानी  दूषित भोजन के सेवन से बचें।



इंजेक्शन लगाने के लिए डिस्पोजेबल सीरिंज  नीडिल का उपयोग करंे।



आॅपरेशननाक-कान छेदवानेखतनागोदनादांत निकलवाने आदि के समय स्टारलाइज्ड का ध्यान दें।



पंजीकृत ब्लड बैंक से ही ब्लड लें.



यदि पीलिया हो तो उसकी जांच विशेषज्ञ से कराएं.



असुरक्षित यौन संबंधों से बचें.



बच्चों को हेपाटाइटिस-बी का टीकाकरण जरूर कराएं.



पीड़ित व्यक्ति के परिवार में रहने वाले सभी व्यक्तियों को असंक्रमित होने पर टीकाकरण कराएं.

हाई रिस्क

हेपाटाइटिस ‘बी’ और ‘सी’ से संक्रमित मरीजों के परिजन को.

ऐसे व्यक्ति जिन्हें पहले पीलिया हो चुका हैं और उन्हें रक्त लेने की आवश्यकता पड़ी हो.

असुरक्षित यौन संबंध रखने वालो को.

नशीले पदार्थो का एक ही सुई से उपयोग करने वाले को.

हीमोफिलिक या थैलेसीमिया के मरीजजिन्हें बार-बार रक्त लेने की आवश्यकता पड़ती है.

डाॅक्टरनर्स और अस्पताल के अन्य कर्मचारियों को.

ऐसे होता है संक्रमण

रक्त और रक्त उत्पादों के संचरण से.

असुरक्षित यौन संपर्क से.

इंजेक्शन लगाने में उपयोग की जाने वाली संक्रमित नीडिल (सुईसे.

संक्रमित सर्जिकल उपकरणरेजर आदि से.

गर्भवति महिला से उसके शिशु को.



लोगों की असावधानी की वज़ह से यह बीमारी तेजी से फैल रही हैस्वास्थ के प्रति सावधानी बरती जाएं तो इससे बचा जा सकता हैंअच्छी बात यह है कि हेपाटाइटिस के बचाव के लिए टीका उपलब्ध है जिसकी वज़ह से रोग से बचने के चांस अधिक होते हैंलेकिन यदि इस रोग के प्रति सावधानी बरती जाएं तो और अच्छा रहेगा.

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